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एक सुंदर श्लोक

स्कंद पुराण में एक सुंदर श्लोक  है अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम् न्यग्रोधमेकम्  दश चिञ्चिणीकान्। कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च* *पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।। अश्वत्थः = पीपल (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) पिचुमन्दः = नीम (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) न्यग्रोधः = वटवृक्ष(80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) चिञ्चिणी = इमली (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) कपित्थः = कविट (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) बिल्वः = बेल(85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) आमलकः = आवला(74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) आम्रः = आम (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) (उप्ति = पौधा लगाना)         अर्थात्- जो कोई इन वृक्षों के पौधो का  रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करना पड़ेंगे।        इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं।  अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं। *औऱ*       गुलमोहर, निलगिरी- जैसे वृक्ष अपने  देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं।         पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है।            पीपल,