संस्कृत में अनुवाद
यह था छोटे छोटे वाक्यों का अनुवाद ।मै पढ़ता हूँ ।अहम् पठामि ।मै खाता हूँ । अहम् खादामि ।वह दौड़ता है । सः धावति । घौड़ा दौड़ता है = अश्वः धावति ।तुम पीते हो= त्वम् पिबसि।इस प्रकार छोटे वाक्यों का अनुवाद हमने सीखा। अब थोड़े बड़े वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद करेगें । इसके लिये हमें कारक का प्रयोग भी करना पड़ेगा । कारक में सात विभक्तियाँ होती है , यह हम पहले पड़ चुके है । प्रथमा - ने द्वितीया- को तृतीया- से, द्वारा चतुर्थी- के लिये पंचमी- से षष्ठी- का , की , के सप्तमी- में, पर संबोधन- हे, अरे इस प्रकार कारक का अर्थ प्रत्येक विभक्ति के अर्थ के अनुसार किया जायगा । तथा काल का प्रयोग भी होगा, भुत , भविष्य , वर्तमान जो भी हो – वाक्य हे- राम ने रावण को मारा – ने- प्रथमा, को- द्वितीया , मारा- भुतकाल । रामः रावणं अताडयत । पेड़ से पत्ता गिरा - वृक्षेण पत्रं अपतत् । हम सब प्रातःकाल बगीचे में घुमने जाते है ।- वयम् प्रातःकाले उद्याने भ्रमणं गच्छामः । मै सूर्य को नमस्कार करता हूँ-