अक्षरों का ज्ञान
महर्षि पाणिनि ने अक्षरों को इस क्रम में बाँधा है- १.अ इ उ ण् २.ऋ लृ क् ३. ए ओ ड़् ४. ऐ औ च् ५.ह य व र ट् ६.लञ् ७.ञ म ड़् ण न म् ८. झ भ ञ् ९. घ ड़ ध ष् १०. ज ब ग ढ़ द श् ११. ख फ छ ठ थ च ट त व् १२.क प य् १३. श ष स र् १४. ह ल् यही चौदह सूत्र माहेश्वर सूत्र कहलाए। क्योंकि ये महर्षि पाणिनी को महेश्वर की कृपा से प्राप्त हुए थे। इनको प्रत्याहार सूत्र भी कहते है। क्योंकि इनके द्वारा बड़ी सरलता से सूक्ष्म रीति से अक्षरों का बोध हो जाता है। पाणिनी ने इन सूत्रो के आधार पर स्वरों एवं व्यंजनों को पहचान कर उन्हें अलग- अलग किया। ऊपर के वर्ण हल् है, वे इत् कहलाते है। जैसे- ण् क् आदि । कोई वर्ण लेकर उसके साथ यदि इत् जोड़े तो उस अक्षर के और उस इत् के बीच के सभी वर्णो का बोध हो जाता है। उन्होंने स्वरों और व्यंजनों की सहायता से अपने द्वारा निर्मित सूत्र बनाकर शब्दों का निर्माण किया। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, उन्होंने सबसे प्रथम संस्कृत व्याकरण की रचना की, फिर व्याकरण की सहायता से संस्कृत भाषा का निर्माण हुआ।महर्षि पाणिनी व्याकरण के सबसे प्रथम प्रणेता है सबसे प्रथम सं