विशेषण-विचार
जो
विद्यार्थी संस्कृत में एम.ए करना चाहते है, उनसे सम्बन्धित बहुपयोगी सामग्री यहाँ
प्रस्तुत करना चाहती हुँ। भाषा-विज्ञान , वेद व्याकरण , साहित्य ,वेदांत ,सुक्त, चारों
वेद आदि सभी विषयों से सम्बन्धित जानकारी अत्यन्त संक्षेप में देना चाहती हुँ, जिसका
लाभ विद्यार्थी को मिल सके।और अधिक से अधिक बच्चे इसका समुचित लाभ ले सके।
सर्वप्रथम
व्याकरण का सामान्य ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। व्याकरण के बिना संस्कृत भाषा का
ज्ञान हो ही नही सकता। मेरी कोशीश है कि अत्यन्त सरल भाषा में व्याकरण सीख सके। संज्ञा,
सर्वनाम, विशेषण , कारक आदि की सामान्य जानकारी प्राप्त करने के पश्चात ही भाषा का
समुचित ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।
विशेषण-विचार
हिन्दी में कभी- भी तो विशेष्य के लिंग और वचन के
अनुसार विशेषण बदलता है, जैसे- अच्छा लड़का,
अच्छे लड़के, अच्छी लड़की, अच्छी लड़कियाँ, किन्तु बहुधा नही बदलता,जैसे- लाल घोड़ी, लाल घोड़ा
, लाल घोड़ियाँ । संस्कृत में लिंग, वचन, और विभक्ति के अनुसार विशेषण का रुप हमेशा
बदलता है। जिस लिंग, जिस वचन, जिस विभक्ति का विशेष्य होता है , उसी लिंग, उसी वचन
और उसी विभक्ति का विशेषण भी होता है। यहाँ तक कि ऐसे विशेष्यों के साथ भी विशेषण बदलता
है, जो लिंग के लिए भिन्न रुप नही रखते। किन्तु जिनके लिंग ,प्रकरण आदि से मालुम हो
जाते है।क्या हिन्दी में ‘मैं सुन्दर हुँ’ । इस वाक्य का अनुवाद संस्कृत में ‘अहं सुन्दरः
अस्मि’ और ‘अहं सुन्दरां अस्मि’ इन दोनों वाक्यों में होगा। यदि बोलने वाला पुरुष है
तो प्रथम वाक्य, प्रयोग में आयेगा, और यदि वह स्त्री है, तो दूसरा वाक्य। हिन्दी में विशेषणों के साथ अलग विभक्तिसुचक परसर्ग (आ, मै,
आदि) नही लगाये जाते, जैसे- पड़े-लिखे मनुष्यों का आदर होता है। इस वाक्य में ‘का’
शब्द केवल ‘मनुष्यों ‘के उपरान्त लगाया गया है। विशेषण ‘पड़े’ ‘लिखे’ के उपरान्त नही
। परन्तु संस्कृत में विशेषण और विशेष्य दोनों में विभक्तियाँ लगती है। ऊपर के वाक्य
का अनुवाद होगा –शिक्षितानां मनुष्यानां आदरः क्रियते’ ।(अथवा भवति) । इसी प्रकार संज्ञा
की तरह संस्कृत में विशेषण के भी लिंग, वचन, और विभक्ति के भिन्न –भिन्न रुप होते है।कुछ
संख्यावाची विशेषण शत, विंशति, त्रिशत,आदि जिनके रुप सब लिंगों में एक ही वचन में होते
है, विशेष्य के लिए और वचन के अनुसार नही बदल सकते, किन्तु विभक्ति के अनुसार बदलते
है।
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