योग एक दैवीय शक्ति
                  योग से तात्पर्य आध्यात्मिक सुख प्राप्त करने से नही है ।योग एक क्रिया है । विभिन्न आसनों के द्वारा योग करने से शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है । सुबह ब्रह्म मुहुर्त में ही योग की क्रिया की जाती है , क्योंकि ब्रह्म मुहुर्त में किया हुवा योग मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है ।योग करने से आपका शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही आपका मन भी प्रसन्न रहता है । योग सिर्फ विभिन्न आसन ही नही बल्कि मन पर नियंत्रण करना भी सिखाता है । यदि मन पर नियंत्रण कर लिया तो कई समस्याओं से बचा जा सकता है , कई रोगों से दूर रहा जा सकता है ।जीवन की समस्याओं का हल भी योग में छुपा हुवा है ।           मनुष्य को आध्यात्मिक उन्नति के लिये मन और इन्द्रियों का निग्रह करना आवश्यक है ।योग की महिमा अनेक उपनिषदों में गाई गई है । कठ में लिखा है –                                    यदा पं...